विश्व की सरकारों ने हमेशा माना कि हमें एक साफ और हरित ग्रह बनाने की दिशा में काम करना चाहिए। इसके लिए प्राकृतिक संसाधनों के सदुपयोग पर विशेष बल दिया गया है। केंद्र सरकार के आह्वान पर ही सिक्किम सरकार ने एक साहसिक कदम उठाया है। दरअसल, 1 जनवरी 2022 से सिक्किम में बोतल बंद पानी पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।
प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल पर जोर
इस संबंध में सिक्किम के मुख्यमंत्री ‘प्रेम सिंह तमांग’ ने बीते 2 अक्टूबर को ”गाँधी जयंती” के अवसर पर बोतल बंद पानी पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि राज्य में ताजा और अच्छी गुणवत्ता वाला पेयजल प्रदान किया जाएगा। यानि सिक्किम देश का पहला ऐसा राज्य बन जाएगा, जहां बोतल बंद पानी पर प्रतिबंधित होगा। यह अन्य राज्यों के लिए मिसाल कायम करेगा। मुख्यमंत्री तमांग आगे कहते हैं कि राज्य में ताजा और अच्छी गुणवत्ता वाला पेयजल प्रदान किया जाएगा। प्रतिबंध लागू होने के बाद लोग प्राकृतिक संसाधनों से पानी का चुनाव करेंगे, जो प्लास्टिक की बोतलों में उपलब्ध पानी की तुलना में कहीं अधिक स्वास्थ्यवर्धक है। इसी के साथ मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने लोगों से प्राकृतिक संसाधनों के सदुपयोग का आह्वान किया।
गौरतलब हो देश का पूर्वोत्तर क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों और कुशल मानव संसाधन के बूते भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने में नेतृत्वकारी भूमिका अदा कर सकता है। यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था के लिए ‘नए इंजन’ की तरह काम करेगा।
बोतलबंद पानी के बाजार का भारतीय परिदृश्य
बोतलबंद पानी 1,900 की शुरुआत में पश्चिमी देशों में और 1970 के दशक के मध्य में भारत में अस्तित्व में आया। बढ़ती स्वास्थ्य चिंताओं के कारण, स्वच्छ पेयजल की अनुपलब्धता के कारण बोतलबंद पानी की मांग में वृद्धि हुई है। लेकिन हाल ही में सिक्किम सरकार ने बोतलबंद पानी की जगह प्राकृतिक संसाधनों के पानी के इस्तेमाल पर जोर दिया है। मीडिया रिपोर्टों के मानें तो देश में पाउच में 200-250 मिली, बोतलों में 500 मिली, 1 लीटर, 2 लीटर, बैरल में 20-50 लीटर में पानी बेचा जा रहा है। साल 2018 में बोतलबंद पानी का बाजार 160 अरब रुपए तक पहुंच गया था। 1 लीटर की बोतल में बिकने वाले पानी ने 2018 में 42% बाजार की हिस्सेदारी पर कब्जा किया था।
भारत में बॉटलिंग इकाइयां
भारत में 6,000 से अधिक लाइसेंस प्राप्त वाटर बॉटलिंग सेटअप हैं। आज बाजार में लगभग 150 घरेलू भारतीय बोतलबंद पानी के ब्रांड हैं। भारत में प्रमुख ब्रांड बिसलेरी, किनले, बेली, एक्वाफिना, हिमालयन, रेल नीर, ऑक्सीरिच, वेदिका और टाटा वाटर प्लस हैं। बोतलबंद पानी के बाजार के करीब 40 प्रतिशत हिस्से की खपत पश्चिमी क्षेत्र में होती है, जबकि पूर्वी क्षेत्र में सिर्फ 10 प्रतिशत हिस्से की खपत होती है। बॉटलिंग संयंत्र देश के दक्षिणी भाग में स्थित हैं। कुल बॉटलिंग संयंत्रों में से 55% से अधिक चार दक्षिणी राज्यों में हैं।
केंद्र सरकार से ली सीख
केंद्र सरकार ने लोगों की भूजल की निर्भरता को कम करने हेतु ”कैच द रेन” अभियान की शुरुआत की। वर्ष 2019 में जल संसाधनों से संबंधित सभी पहलुओं की देखरेख के लिए नया जल शक्ति मंत्रालय बनाया। ‘ग्राम स्वराज’ के दृष्टिकोण का सम्मान करते हुए, इस बार गांधी जयंती पर 2 अक्टूबर को देश भर में एक विशेष ग्राम सभा बुलाई गई। इसके अलावा पीएम मोदी करीब 3.3 लाख ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों व जल समितियों को संबोधित भी किया। प्रधानमंत्री के साथ इस बातचीत से समुदाय और स्थानीय नेताओं की ऊर्जा को बढ़ावा मिला। इन्होंने महामारी के दौरान विशेष कार्य किया और लॉकडाउन के दौरान हर घर में नल जल की व्यवस्था सुनिश्चित की। केंद्र सरकार के इन विशेष प्रयासों से ही देश में हर घर नल जल सुनिश्चित कराया जा रहा है।
जल जीवन मिशन एप लॉन्च
पीएम मोदी ने 2 अक्टूबर को प्रधानमंत्री जल जीवन मिशन एप भी लॉन्च किया, जिसका उपयोग सभी हितधारकों और राष्ट्रीय जल जीवन कोष द्वारा किया जा सकता है। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि पानी को हमें प्रसाद की तरह इस्तेमाल करना चाहिए।
हर घर नल कनेक्शन
गौरतलब हो, जल जीवन मिशन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ”15 अगस्त, 2019” को की थी, जिसका उद्देश्य 2024 तक देश के हर घर में घरेलू नल कनेक्शन प्रदान कराना था। 2019 में, ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 18.93 करोड़ घरों में से केवल 3.23 करोड़ (17%) नल के पानी के कनेक्शन थे। इस प्रकार, 2024 तक 15.70 करोड़ घरों में नल का पानी उपलब्ध कराया जाना है। इसके अलावा, सभी मौजूदा जल आपूर्ति प्रणालियों और नल कनेक्शनों की कार्यक्षमता भी सुनिश्चित की जानी है।
19 करोड़ ग्रामीण परिवारों को लाभ
”जल जीवन मिशन” कार्यक्रम सीधे तौर पर 19 करोड़ से अधिक ग्रामीणपरिवारों को लाभान्वित करेगा। साथ ही ये मिशन ग्रामीण-शहरी विभाजन को पाटने का बड़ा काम करेगा और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करेगा। अधिकतर गांव के लोग स्वच्छ जल के अभाव में बीमार पड़ जाते हैं। ऐसे में इनके लिए स्वच्छ जल की आपूर्ति भी सुनिश्चित हो सकेगी। बता दें, अभी तक, लगभग 8.26 करोड़ (43%) ग्रामीण परिवारों के घरों में नल के पानी की आपूर्ति है।
देश के 1.16 लाख गांवों को मिल रहा नल का पानी
“जल जीवन मिशन” का आदर्श वाक्य है कि ‘कोई भी छूटे नहीं।’ अर्थात देश में ऐसा कोई घर न हो जो नल जल से वंचित रहे। वर्तमान में देश के 78 जिलों के प्रत्येक ग्रामीण परिवार और 1.16 लाख गांवों को नल का पानी मिल रहा है।