लखनऊ, विधि संवाददाता
हाइकोर्ट के अधिवक्तागण हड़ताल पर है। इसी बीच एक बढ़िया फैसला भी ले लिया। वकीलों का कहना है कि हाईकोर्ट न्याय का मंदिर नहीं बल्कि इंसाफ देने का न्यायालय है। हाईकोर्ट के जज भगवान नहीं बल्कि पब्लिक के सर्वेंट है। साथ ही यह भी कहा गया की जनता के टैक्स से जमा हुए पैसे से जज को तनख्वाह दी जाती है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकील बुधवार से हड़ताल पर है। शुक्रवार को भी हाईकोर्ट के वकील हड़ताल पर रहे। इस दौरान हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने एक बैठक किया। बैठक में हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने फैसला लिया कि अब जजों को माय लॉर्ड या योर लॉर्डशिप कहकर संबोधित नहीं करेंगे
इस दौरान यह भी कहा गया कि जो भी वकील हड़ताल के ऐलान के बावजूद अदालत में पेश हो रहे हैं या फिर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बहस कर रहे हैं उनकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी। इसके अलावा ऐसे वकीलों को ब्लैकलिस्टेड भी किया जाएगा
हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि माय लॉर्ड या योर लॉर्डशिप कहने की जगह वकील जज को सर और योर ऑनर या फिर माननीय कहकर संबोधित करेंगे। बैठक में प्रस्ताव पास करने के बाद वकील कार्य से विरत रहे।