बिशू सिंह newszone
मेहरबाई के बारे में कई ऐसी कहानियां है, जो आपके दिल को छू जाएगी। मेहरबाई के पास एक खूबसूरत हीरा हुआ करता था। 245 कैरेट का जुबिली हीरा प्रसिद्ध कोहिनूर से दोगुना बड़ा था और यह तोहफा उन्हें अपने पति सर दोराबजी टाटा से मिला था। विशेष प्लेटिनम चेन में लगी यह हीरा देख सभी चकित हो जाते थे। लेडी मेहरबाई टाटा इसे विशेष आयोजनों में पहना करती थी। मेहरबाई टाटा जो जमशेदजी टाटा की बहू और उनके बड़े बेटे सर दोराबजी टाटा की पत्नी थीं।
लेडी मेहरबाई टाटा का जन्म 1879 में हुआ था। खुले विचार की मेहरबाई बाद में चलकर महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई की अगुआ बनी। खेल के प्रति रुचि रखने वाली मेहरबाई बहुमुखी प्रतिभा की धनी थी। वह कुशल पियानोवादक भी थी।
सन 1924 में प्रथम विश्वयुद्ध के कारण जब मंदी का माहौल था और टाटा कंपनी के पास कर्मचारियों को वेतन देने के पैसे नहीं थे… तब मेहरबाई ने अपना यह बेशकीमती जुबली डायमंड इम्पीरियल बैंक में 1 करोड़ रुपयों में गिरवी रख दिया था ताकि कर्मचारियों को लगातार वेतन मिलता रहे,कंपनी चलती रहे आऔर किसी भी कर्मचारी को कोई समस्या ना हो ।सन 1931 मे ब्लड कैंसर से असमय मृत्यु होने के बाद सर दोराबजी टाटा ने भारत के कैंसर रोगियों के बेहतर इलाज के लिये यह हीरा बेचकर ही टाटा मेमोरियल कैंसर रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की थी …प्रेम के लिये बनाया गया यह स्मारक मानवता के लिये एक उपहार है …. विडम्बना देखिये हम प्रेम स्मारक के रुप मे ताजमहल को महिमामंडित करते रहते हैं ,और जो हमें जीवन प्रदान करता है, उसके इतिहास के बारे में जानते तक नहीं ….!